लेखनी प्रतियोगिता -08-Dec-2022
बात है गांव की जहां लड़की के 17/18बरस होने पे शादी की तैयारी एक नन्ही सी परी जब हो जाती बड़ी तो उसके ब्याह की चर्चा का पात्र बन ने लगता हैं
घर वाले नही तो दूसरे पड़ोसियों के लड़की सयानी हो रही हाथ पीले कब करोगे
चिंता बाप को नहीं समाज को हो जाती है बेटी है भटक न जाए हुई उम्र हुई तो ढूंढना शुरू प्यारा सा राजकुमार।बेटी को पता नही बचपन सी उम्र और खुद की शादी होगी ।क्या शादी मुझे तो पढ़ना है ,नही ससुराल वाले कराएंगे दाखिला तेरा।अभी तो कर ले शादी ,व्याह है जरूरी ,पहन सुहाग का जोड़ा साथ फेरे ले लिए
बेटी ने विदा हुई आंगन से तो ससुराल के तरफ कदम बढ़ाया पढ़ाई तो उसकी मायके में छूट गई ससुराल वाले ने कहा पढ़ाई करके बैरिस्टर बनाने नही लाए है।एक बेटी को जो खुशी मायके में थी अब ससुराल में गुम सी हो जाती
लड़का भी नासमझ बचकानी उम्र तो
ना मिलता उसे सम्मान ,जिम्मेदारी में होकर
बहुत कुछ झेलती है।सुंदर गहनों का शौक था पर क्या पता था पढ़ाई छूते जायेगी।शादी तो करके लाय बस एक काम करने का जरिया था
लड़का को मतलब नहीं उसे कोई लड़की में दिलचस्पी लगने लगी
और लड़के की पसंद भी बदलने लगती है
आत्मसम्मान न मिला और अब तो पति भी हमारा नही किस्मत को दोष दे एक बेटी अपनी कहानी में बेहद झेलती है दे देती तलाक पर रिश्ता ऐसे तोड़ती है।
तो एक जल्दबाजी का फैसला मां बाप का
अच्छा घर वार का डर समाज का
नही बेटी को उम्र हो तो उसकी शादी करे
सार यह है कि समाज के खातिर आप की बेटी है समाज के किस्से चलते रहेंगे।
Gunjan Kamal
11-Dec-2022 02:04 PM
ब बहुत सुंदर
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Pranali shrivastava
10-Dec-2022 09:14 PM
Nice 👍🏼
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shweta soni
09-Dec-2022 07:34 PM
Bahut khub 👌
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